मंगलवार, 12 अगस्त 2025

KAJJALI - KAJARI - SATUDI TEEJ : कज्जली (कजरी,सातुड़ी) तृतीया (तीज)

KAJJALI - KAJARI - SATUDI TEEJ : कज्जली (कजरी,सातुड़ी) तृतीया (तीज) 
भाद्र कृष्ण तृतीया तिथि को देश के कई भागों में कज्जली तीज का व्रत किया जाता है। इस वर्ष कज्जली तीज 12 अगस्त मंगलवार को है। अन्य तीज त्यौहारो की तरह इस तीज का भी अलग महत्त्व है. तीज एक ऐसा त्यौहार है जो शादीशुदा लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. हमारे देश में शादी का बंधन सबसे अटूट माना जाता है. पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए तीज का व्रत रखा जाता है. दूसरी तीज की तरह यह भी हर सुहागन के लिए महत्वपूर्ण है. इस दिन भी पत्नी अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती है, व कुआरी लड़की अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती है।

भविष्य पुराण में तृतीया तिथि की देवी माता पार्वती को बताया गया है। पुराण के तृतीया कल्प में बताया गया है कि यह व्रत महिलाओं को सौभाग्य, संतान एवं गृहस्थ जीवन का सुख प्रदान करने वाला है। इस व्रत को देवराज इंद्र की पत्नी शचि ने भी किया था जिससे उन्हें संतान सुख मिला। युधिष्ठिर को भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि भाद्र मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को देवी पार्वती की पूजा सप्तधान्य से उनकी मूर्ति बनाकर करनी चाहिए। इस दिन देवी की पूजा दुर्गा रूप में होती है जो महिलाओं को सौंदर्य एवं पुरुषों को धन और बल प्रदान करने वाला है। देवी पार्वती को इस दिन गुड़ और आटे से मालपुआ बनाकर भोग लगाना चाहिए। इस व्रत में देवी पार्वती को शहद अर्पित करने का भी विधान है।

KAJJALI - KAJARI - SATUDI TEEJ : कज्जली (कजरी,सातुड़ी) तृतीया (तीज) 

व्रत करने वाले को रात्रि में देवी पार्वती की तस्वीर अथवा मूर्ति के सामने की शयन करना चाहिए। अगले दिन अपनी इच्छा और क्षमता के अनुसार ब्राह्मण को दान दक्षिणा देना चाहिए। इस तरह कज्जली तीज करने से सदावर्त एवं बाजपेयी यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। इस पुण्य से वर्षों तक स्वर्ग में आनंद पूर्वक रहने का अवसर प्राप्त होता है। अगले जन्म में व्रत से प्रभाव से संपन्न परिवार में जन्म मिलता है और जीवनसाथी का वियोग नहीं मिलता है।

कजली तीज नाम क्यों पड़ा? 

पुराणों के अनुसार मध्य भारत में कजली नाम का एक वन था. इस जगह का राजा दादुरै था. इस जगह में रहने वाले लोग अपने स्थान कजली के नाम पर गीत गाते थे जिससे उनकी इस जगह का नाम चारों और फैले और सब इसे जाने. कुछ समय बाद राजा की म्रत्यु हो गई और उनकी रानी नागमती सती हो गई. जिससे वहां के लोग बहुत दुखी हुए और इसके बाद से कजली के गाने पति – पत्नी के जनम – जनम के साथ के लिए गाये जाने लगे।

इसके अलावा एक और कथा इस तीज से जुडी है. माता पार्वती शिव से शादी करना चाहती थी लेकिन शिव ने उनके सामने शर्त रख दी व बोला की अपनी भक्ति और प्यार को सिद्ध कर के दिखाओ. तब पार्वती ने 108 साल तक कठिन तपस्या की और शिव को प्रसन्न किया. शिव ने  पार्वती से खुश होकर इसी तीज को उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था. इसलिए इसे कजरी तीज कहते है. कहते है बड़ी तीज को सभी देवी देवता शिव पार्वती की पूजा करते है!

कजली तीज को निम्न तरह से मनाया जाता है।

इस दिन हर घर में झूला डाला जाता है. और औरतें इस में झूल कर अपनी ख़ुशी व्यक्त करती है।

इस दिन औरतें अपनी सहेलियों के साथ एक जगह इकट्ठी होती है और पूरा दिन नाच गाने मस्ती में बिताती है।

औरतें अपने पति के लिए व कुआरी लड़की अच्छे पति के लिए व्रत रखती है।

तीज का यह व्रत कजली गानों के बिना अधूरा है. गाँव में लोग इन गानों को ढोलक मंजीरे के साथ गाते है।

 इस दिन गेहूं, जौ, चना और चावल के सत्तू में घी मिलाकर तरह तरह के पकवान बनाते है।

व्रत शाम को चंद्रोदय के बाद तोड़ते है, और ये पकवान खाकर ही व्रत तोड़ा जाता है 

विशेषतौर पर गाय की पूजा होती है।

आटे की 7 रोटियां बनाकर उस पर गुड़ चना रखकर गाय को खिलाया जाता है. इसके बाद ही व्रत तोड़ते है।

KAJJALI - KAJARI - SATUDI TEEJ : कज्जली (कजरी,सातुड़ी) तृतीया (तीज) कजरी : कजली तीज पूजा सामग्री और विधि

सामग्री:- कजली तीज के लिए कुमकुम, काजल, मेहंदी, मौली, अगरबत्ती, दीपक, माचिस, चावल, कलश, फल, नीम की एक डाली, दूध, ओढ़नी, सत्तू, घी, तीज व्रत कथा बुक, तीज गीत बुक और कुछ सिक्के आदि पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है।

KAJJALI - KAJARI - SATUDI TEEJ : कज्जली (कजरी,सातुड़ी) तृतीया (तीज) 
तीज की पूजा विधि इस प्रकार हैं!

पहले कुछ रेत जमा करें और उससे एक तालाब बनाये. यह ठीक से बना हुआ होना चाहिए ताकि इसमें डाला गया जाल लीक ना हो।

अब तालाब के किनारे मध्य में नीम की एक डाली को लगा दीजिये, और इसके ऊपर लाल रंग की ओढ़नी डाल दीजिये।

इसके बाद इसके पास गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतिमा विराजमान कीजिये, जैसे की आप सभी जानते हैं इनके बिना कोई भी पूजा नहीं की जा सकती।

अब कलश के ऊपरी सिरे में मौली बाँध दीजिये और कलश पर स्वास्तिक बना लीजिये. कलश में कुमकुम और चावल के साथ सत्तू और गुड़ भी चढ़ाइए, साथ ही एक सिक्का भी चढ़ा दीजिये।

इसी तरह गणेश जी और लक्ष्मी जी को भी कुमकुम, चावल, सत्तू, गुड़, सिक्का और फल अर्पित कीजिये।

इसी तरह तीज पूजा अर्थात नीम की पूजा कीजिये, और सत्तू तीज माता को अर्पित कीजिये. इसके बाद दूध और पानी तालाब में डालिए।

विवाहित महिलाओं को तालाब के पास कुमकुम, मेंहदी और कजल के सात राउंड डॉट्स देना पड़ता है. साथ ही अविवाहित स्त्रियों को यह 16 बार देना होता है।

अब व्रत कथा शुरू करने से पहले अगरबत्ती और दीपक जला लीजिये. व्रत कथा को पूरा करने के बाद महिलाओं को तालाब में सभी चीजों जैसे सत्तू, फल, सिक्के और ओढ़नी का प्रतिबिंब देखने की जरूरत होती है, जोकि तीज माता को चढ़ाया गया था. इसके साथ ही वे उस तालाब में दीपक और अपने गहनों का भी प्रतिबिंब देखती हैं।

व्रत कथा खत्म हो जाने के बाद के कजरी गीत गाती हैं, और सभी माता तीज से प्रार्थना करती है. अब वे खड़े होकर तीज माता के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करती हैं।

KAJJALI - KAJARI - SATUDI TEEJ : कज्जली (कजरी,सातुड़ी) तृतीया (तीज) - कजरी तीज की कथा 

यहाँ बहुत सी कथाएं प्रचलित है. अलग- अलग स्थान में इसे अलग तरह से मनाते है इसलिए वहां की कथाएं भी अलग है. मै आपको कुछ प्रचलित कथाएं बता रहे है।

सात बेटों की कहानी

एक साहूकार था उसके सात बेटे थे. सतुदी तीज के दिन उसकी बड़ी बहु नीम के पेड़ की पूजा कर रही होती है तभी उसका पति मर जाता है. कुछ समय बाद उसके दुसरे बेटे की शादी होती है, उसकी बहु भी सतुदी तीज के नीम के पेड़ की पूजा कर रही होती है तभी उसका पति मर जाता है. इस तरह उस साहूकार के 6 बेटे मर जाते है. फिर सातवें बेटे की शादी होती है और सतुदी तीज के दिन उसकी पत्नी अपनी सास से कहती है कि वह आज नीम के पेड़ की जगह उसकी टहनी तोड़ कर उसकी पूजा करेगी. तब वह पूजा कर ही रही होती है कि साहूकार के सभी 6 बेटे अचानक वापस आ जाते है लेकिन वे किसी को दिखते नहीं है. तब वह अपनी सभी जेठानियों को बुला कर कहती है कि नीम के पेड़ की पूजा करो और पिंडा को काटो. तब वे सब बोलती है कि वे पूजा कैसे कर सकती है जबकि उनके पति यहाँ नहीं है. तब छोटी बहुत बताती है कि उन सब के पति जिंदा है. तब वे प्रसन्न होती है और नीम की टहनी की पूजा अपने पति के साथ मिल कर करती है. इसके बाद से सब जगह बात फ़ैल गई की इस तीज पर नीम के पेड़ की नहीं बल्कि उसकी टहनी की पूजा करनी चाहिए।

सत्तू की कहानी

एक किसान के 4 बेटे और बहुएं थी. उनमें से तीन बहुएं बहुत संपन्न परिवार से थी. लेकिन सबसे छोटी वाली गरीब थी और उसके मायके में कोई था भी नहीं . तीज का त्यौहार आया, और परंपरा के अनुसार तीनों बड़ी बहुओं के मायके से सत्तू आया लेकिन छोटी बहु के यहाँ से कुछ ना आया. तब वह इससे उदास हो गई और अपने पति के पास गई. पति ने उससे उदासी का कारण पुछा. उसने सब बताया और पति को सत्तू लेन के लिए कहा. उसका पति पूरा दिन भटकता रहा लेकिन उसे कहीं सफलता नहीं मिली. वह शाम को थक हार के घर आ गया. उसकी पत्नी को जब यह पता चला कि उसका पति कुछ ना लाया तब वह बहुत उदास हुई. अपनी पत्नी का उदास चेहरा देख चोंथा बेटा रात भर सो ना सका।

अगले दिन तीज थी जिस वजह से सत्तू लाना अभी जरुरी हो गया था. वह अपने बिस्तर से उठा और एक किरणे की दुकान में चोरी करने के इरादे से घुस गया. वहां वह चने की दाल लेकर उसे पीसने लागा, जिससे आवाज हुई और उस दुकान का मालिक उठ गया. उन्होंने उससे पुछा यहाँ क्या कर रहे हो? तब उसने अपनी पूरी गाथा उसे सुना दी. यह सुन बनिए का मन पलट गया और वह उससे कहने लगा कि तू अब घर जा, आज से तेरी पत्नी का मायका मेरा घर होगा. वह घर आकर सो गया।

अगले दिन सुबह सुबह ही बनिए ने अपने नौकर के हाथ 4 तरह के सत्तू, श्रृंगार व पूजा का सामान भेजा. यह देख छोटी बहुत खुश हो गई. उसकी सब जेठानी उससे पूछने लगी की उसे यह सब किसने भेजा. तब उसने उन्हें बताया की उसके धर्म पिता ने यह भिजवाया है. इस तरह भगवान ने उसकी सुनी और पूजा पूरी करवाई।

शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2016

सच्चे का कोई ग्राहक नाही, झूठा जगत में ...

 सच्चे का कोई ग्राहक नाही, झूठा जगत में ....                   

   पगड़ी का मोल


         एक बार कबीर जी ने बड़ी कुशलता से पगड़ी बनाई। झीना- झीना कपडा बुना और उसे गोलाई में लपेट कर पगड़ी तैयार की। पगड़ी को हर कोई बड़ी शान से अपने सिर सजाता हैं। यह नई नवेली पगड़ी लेकर  कबीर जी दुनिया की हाट में जा बैठे। ऊँची- ऊँची पुकार उठाई- 'शानदार पगड़ी! जानदार पगड़ी! दो टके की भाई! दो टके की भाई!'


         एक खरीददार निकट आया। उसने घुमा- घुमाकर पगड़ी का निरीक्षण किया। फिर कबीर जी से प्रश्न किया- 'क्यों महाशय एक टके में दोगे क्या?' कबीर जी ने अस्वीकार कर दिया- 'न भाई! दो टके की है। दो टके में ही सौदा होना चाहिए।' खरीददार भी नट गया। पगड़ी छोड़कर आगे बढ़ गया। यही प्रतिक्रिया हर खरीददार की रही। 


        सुबह से शाम हो गई। कबीर जी अपनी पगड़ी बगल में दबाकर खाली जेब वापिस लौट आए। थके- माँदे कदमों से घर में प्रवेश करने ही वाले थे कि तभी... एक पड़ोसी से भेंट हो गई। उसकी दृष्टि पगड़ी पर पड गई। 'क्या हुआ संत जी, इसकी बिक्री नहीं हुई ?  पड़ोसी ने जिज्ञासा की। कबीर जी ने दिन भर का क्रम कह सुनाया। पड़ोसी ने कबीर जी से पगड़ी ले ली- 'आप इसे बेचने की सेवा मुझे दे दीजिए। मैं कल प्रातः ही बाजार चला जाऊँगा।


       अगली सुबह कबीर जी के पड़ोसी ने ऊँची- ऊँची बोली लगाई- 'शानदार पगड़ी! जानदार पगड़ी! आठ टके की भाई! आठ टके की भाई! पहला खरीददार निकट आया, बोला बड़ी महंगी पगड़ी हैं दिखाना जरा!

पडोसी- पगड़ी भी तो शानदार है। ऐसी और कही नहीं मिलेगी।


    खरीददार- ठीक दाम लगा  लो, भईया।


     पड़ोसी-  चलो, आपके लिए- छह टका लगा देते हैं! 

खरीददार - ये लो पाँच टका। पगड़ी दे दो। एक घंटे के भीतर- भीतर पड़ोसी वापस लौट आया। कबीर जी के चरणों में पाँच टके अर्पित किए। पैसे देखकर कबीर जी के मुख से अनायास ही निकल पड़ा


         सत्य गया पाताल में झूठ रहा जग छाए।

          दो टके की पगड़ी पाँच टके में  जाए।।


    यही इस जगत का व्यावहारिक सत्य है। सत्य के पारखी इस जगत में बहुत कम होते हैं। संसार में अक्सर सत्य का सही मूल्य नहीं मिलता, लेकिन असत्य बहुत ज्यादा कीमत पर बिकता हैं। इसलिए कबीर साहिब ने कहा- 


     सच्चे का कोई ग्राहक नाही, झूठा जगत में 

बुधवार, 14 सितंबर 2016

कर्म

कर्म

अभाग्य से हमारा धन,
नीचता से हमारा यश,
मुसीबत से हमारा जोश ,
रोग से हमारा स्वास्थ्य,
मृत्यु से हमारे मित्र हमसे छीने जा सकते है किन्तु 

हमारे कर्म मृत्यु के बाद भी हमारा पीछा करेंगे.....


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कर्म, जीवन के सबक, प्रेरक प्रसंग, गुड मोर्निंग मेसेज


रविवार, 11 सितंबर 2016

संबंध

संबंध

रिश्तों में वैसा ही संबंध होना चाहिए

 
जैसे हाथ और आँख का होता है।


हाथ पर चोट लगती है, तो आँखों से

 
आँसू निकलते हैं,और आँखों से आँसू

 
आने पर हाथ ही उनको साफ करता है।


अहिंसा  मयी  विश्व  धर्म  की  जय  हो


              शुभ प्रभात् वन्दन

 
         सर्वे भवन्तु सुखिनः


जीवन के सबक, प्रेरक प्रसंग, शुभ वचन, गुड मोर्निंग मेसेज


गुरुवार, 8 सितंबर 2016

शब्द

शब्द


चाकू,
खंजर,
तीर और तलवार लड़ रहे थे कि .. ..
कौन ज्यादा गहरा घाव देता है !!!

शब्द पीछे बैठे, मुस्कुरा रहा था...

मंगलवार, 6 सितंबर 2016

लफ़्ज़

"लफ़्ज़" "आईने" हैं
मत इन्हें "उछाल" के चलो,
"अदब" की "राह" मिली है तो
"देखभाल" के चलो
मिली है "ज़िन्दगी" तुम्हे
इसी ही "मकसद" से,
"सँभालो" "खुद" को भी और
"औरों" को भी "सँभाल" के चलो

लफ़्ज़

"लफ़्ज़" "आईने" हैं
मत इन्हें "उछाल" के चलो,
"अदब" की "राह" मिली है तो
"देखभाल" के चलो
मिली है "ज़िन्दगी" तुम्हे
इसी ही "मकसद" से,
"सँभालो" "खुद" को भी और
"औरों" को भी "सँभाल" के चलो

शनिवार, 3 सितंबर 2016

अच्छे इंसान

किसी अच्छे इंसान से हद से ज़्यादा बुरा सुलूक मत कीजिये,
क्यूँकि सुंदर काँच टूटता है तो धारदार हथियार बनता है.

रविवार, 3 जुलाई 2016

सूक्ति

*सूक्ति*

*किसी का दिल दुखाने वाली बात न कहें , वक्त बीत जाता है, बातें याद रहती हैं ।*
*लंबी जबान और लंबा धागा हमेशा उलझ जाता हैं ।*
*बुरे विचार उस हृदय में प्रवेश नहीं कर सकते जिसके द्वार पर ईश्वरीय- विचार के पहरेदार खड़े हों ।*
*दुनियां आपके '  उदाहरण ' से बदलेगी आपकी ' राय ' से नहीं।*
*इंसान की सबसे बड़ी सम्पत्ति उसका मनोबल है ।*
*सफलता का चिराग परिश्रम से जलता है ।*
*ऐसा जीवन जियो कि अगर कोई आपकी बुराई भी करे तो लोग उस पर विश्वास न करें ।*
*कमजोर तब रूकते हैं जब वे थक जाते हैं और विजेता तब रूकते हैं जब वे जीत जाते हैं ।*
*अहंकार से जिस व्यक्ति का मन मैला है, करोड़ो की भीड़ में भी वो सदा अकेले रहते है ।*
*हमारी समस्या का समाधान किसी के पास नहीं है, सिवाय हमारे ।*
*काम में ईश्वर का साथ मांगो लेकिन ईश्वर ये काम कर दे, ऐसा मत मांगो ।*
*जिस हाथ से अच्छा कार्य हो , वह हाथ तीर्थ है ।*
*अच्छा दिल संबंधों को जीत सकता है पर अच्छा स्वभाव उसे आजीवन निभा सकता है ।*
*अगर मैं सुखी होना चाहता हूं तो कोई मुझे दुखी नहीं कर सकता ।*
*गलतियां क्षमा की जा सकती हैं अगर आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो ।*
*ईमानदारी बरगद के पेड़ के समान है जो देर से बढ़ती है किन्तु चिरस्थायी रहती है ।*
*यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने में सफल होता हैं तो यकीनन आप उसकी हाथ की कठपुतली हैं ।*
*जिसके पास उम्मीद हैं वह लाख बार हार के भी नहीं हारता ।*
*कुछ देने के लिए दिल बड़ा होना चाहिए, हैसियत नहीं ।*
*घर बड़ा हो या छोटा , अगर मिठास न हो तो इंसान तो क्या , चीटिंयां भी नहीं आती ।*
*इस जन्म का पैसा अगले जन्म में काम नहीं आता लेकिन पुण्य जन्मों -जन्म तक काम आता है ।*
*जो ' प्राप्त ' हैं वो ही ' पर्याप्त ' हैं इन दो शब्दों में सुख बे हिसाब हैं ।*
*वह अच्छाई* *जो बुरा करने वाले को* *मदद करें , अच्छाई नहीं होती हैं।*

* हमेशा खुश रहे *

गुरुवार, 30 जून 2016

कड़वा सच

◆ कड़वा सच ◆
    
गाँव में नीम के पेड़ कम हो रहे हैं,..
घरों में कड़वाहट बढती जा रही है,...

जुबान में मिठास कम हो रही है,..
और शरीर में शुगर बढती जा रही है,..

बुधवार, 29 जून 2016

झाँक रहे है इधर उधर सब।


“झाँक रहे है इधर उधर सब।
अपने अंदर झांकें  कौन।
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ  में कमियां।
अपने मन में ताके कौन।
सबके भीतर दर्द छुपा है।
  उसको अब ललकारे कौन।
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते ।
खुद को आज सुधारे कौन।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे।
खुद पर आज विचारे कौन।
हम सुधरें तो जग सुधरेगा।
यह सीधी बात उतारे कौन ?”

मान—सम्मान, पद—प्रतिष्ठा,

मान—सम्मान, पद—प्रतिष्ठा, सब धोखे हैं, आत्मवंचनाएं हैं। कितना ही छिपाओ अपने भावों को—अपने घावों के ऊपर गुलाब के फूल रखो दो; इससे घाव मिटते नहीं। भूल भला जाए क्षण—भर को, भरते नहीं। दूसरों को भला धोखा हो जाए, खुद को कैसे धोखा दोगे? तुम तो जाने ही हो, जानते ही हो, जानते ही रहोगे कि भीतर घाव है, ऊपर गुलाब का फूल रखकर छिपाया है। सारे जगत को भी धोखा देना संभव है, लेकिन स्वयं को धोखा देना संभव नहीं है।
जिस दिन यह स्थिति प्रगाढ़ होकर प्रकट होती है, उस दिन भक्त का जन्म होता है

शुक्रवार, 24 जून 2016

एकांत

'अकेलापन' इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है.!
                 और 'एकांत'
   इस संसार में सबसे बड़ा वरदान.!!

       ये दो समानार्थी दिखने वाले
               शब्दों के अर्थ में
    . आकाश पाताल का अंतर है।

        अकेलेपन में छटपटाहट है
          तो एकांत में आराम है।

         अकेलेपन में घबराहट है
             तो एकांत में शांति।

           जब तक हमारी नज़र
      बाहरकी ओर है तब तक हम.
       अकेलापन महसूस करते हैं
                       और
   जैसे ही नज़र भीतर की ओर मुड़ी
   तो एकांत अनुभव होने लगता है।

          ये जीवन और कुछ नहीं
                     वस्तुतः
      अकेलेपन से एकांत की ओर
              एक यात्रा ही है.!!

              ऐसी यात्रा जिसमें
    रास्ता भी हम हैं, राही भी हम हैं
       और मंज़िल भी हम ही हैं.!!
              
               
�प्रसन्न रहिए,अपना ख्याल रखिए�

कुंडली में शनि

. *शानदार बात*

*कुंडली में "शनि*"
*दिमाग में "मनी" और*
*जीवन में "दुश्मनी*"
*तीनो हानिकारक होते हे*.

*बदला लेने  में  क्या  मजा है*
*मजा  तो  तब है  जब  तुम* 
*सामने  वाले को  बदल  डालो*..||

*इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले*,
*और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले*...

' *कर्मो' से ही पहेचान होती है इंसानो की*...
*महेंगे 'कपडे' तो*,
' *पुतले*' *भी पहनते है दुकानों में*...
...  ....

बुधवार, 22 जून 2016

आदमी की औकात ।

।। आदमी की औकात ।।

एक माचिस की तिल्ली, एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे, कुछ घण्टे में राख.
बस इतनी-सी है, आदमी की औकात !!!!

एक बूढ़ा बाप, शाम को मर गया,
अपनी सारी ज़िन्दगी, परिवार के नाम कर गया,
कहीं रोने की सुगबुगाहट, तो कहीं फुसफुसाहट,
.अरे जल्दी ले जाओ, कौन रोयेगा सारी रात.
बस इतनी-सी है, आदमी की औकात!!!!

मरने के बाद नीचे देखा, नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे .....
कुछ लोग ज़बरदस्त, तो कुछ ज़बरदस्ती रो रहे थे।
नहीं रहा, चला गया, चार दिन करेंगे बात.
बस इतनी-सी है, आदमी की औकात!!!!!

बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा, सामने अगरबत्ती जलायेगा,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी, अख़बार में अश्रुपूरित श्रद्धांजलि होगी,
बाद में उस तस्वीर पे, जाले भी कौन करेगा साफ़.?
बस इतनी-सी है, आदमी की औकात !!!!!!

जिन्दगी भर, मेरा-मेरा-मेरा किया,
अपने लिए कम, अपनों के लिए ज्यादा जिया,
कोई न देगा साथ...जायेगा खाली हाथ....
क्या तिनका ले जाने की भी है हमारी औकात ???

हम चिंतन करें .........
क्या है हमारी औकात ????

बुधवार, 15 जून 2016

हँसी

वो व्यक्ति जो दूसरे के चेहरे पर हँसी और जीवन में ख़ुशी लाने की क्षमता  रखता है.................

ईश्वर उसके चेहरे से हँसी और जीवन में ख़ुशी कभी कम नही होने देता ।

 

मंगलवार, 14 जून 2016

Wisdom

The richest wealth is Wisdom.
The strongest weapon is Patience.
The best security is Faith.
The greatest tonic is Laughter.
and surprisingly all are free...

मंगलवार, 7 जून 2016

सुमंगलप्रभात

ए “ *मंगलसुबह* ” तुम जब भी आना,
     सब के लिए बस " *मंगलखुशियाँ*" लाना.
हर चेहरे पर “हंसी ” सजाना,
          हर आँगन मैं “फूल ” खिलाना.
जो “रोये ” हैं  इन्हें हँसाना.
               जो “रूठे ” हैं  इन्हें मनाना,
जो “बिछड़े” हैं तुम इन्हें मिलाना.
       प्यारी *“मंगलसुबह”* तुम जब भी आना,
सब के लिए बस *“मंगलखुशिया ”*ही लाना.
*सुमंगलप्रभात*

सोमवार, 23 मई 2016

सम्मान

‘श्रद्धा’ ज्ञान देती हैं,
‘नम्रता’ मान देती हैं,
और
‘योग्यता’ स्थान देती है !

पर तीनो मिल जाए तो..
व्यक्ति को हर जगह ‘सम्मान’ देती हैं....✍

BHAGWAD GITA  IN ONE Sentence per chapter

BHAGWAD GITA  IN ONE Sentence per chapter

Chapter 1 :
Wrong thinking is the only problem in life

Chapter 2 :
Right knowledge is the ultimate solution to all our problems

Chapter 3 :
Selflessness is the only way to progress and prosperity

Chapter 4 :
Every act can be an act of prayer

Chapter 5 :
Renounce the ego of individuality and Rejoice in the Bliss of Infinity

Chapter 6 :
Connect to the Higher ConsciousNess Daily

Chapter 7 :
Live what you learn

Chapter 8 :
Never give up on yourself

Chapter 9 :
Value your blessings

Chapter 10 :
See divinity all around

Chapter 11 :
Have enough surrender to see the Truth as it is

Chapter 12 :
Absorb your mind in the Higher

Chapter 13 :
Detach from Maya and Attach to Divine

Chapter 14 :
Live a lifestyle that matches your vision

Chapter 15 :
Give priority to Divinity

Chapter 16 :
Being good is a reward in itself

Chapter 17 :
Choosing the right over the pleasant is a sign of power

Chapter 18 :
Let Go, Lets move to Union with God!

बुधवार, 18 मई 2016

समंदर

किनारे पर बैठे के समंदर को दोष  देते है,
डूब जाते हैं तो मुकदर को दोष  देते है.
सम्भल कर खुद नही चलते...
गिर जाते हैं तो पत्थर को दोष  देते है..

गुरुवार, 12 मई 2016

Hurting someone

Thought of the day:

Hurting someone is as easy as like Plucking a Leaf from Tree, But Making someone HAPPY is like Growing a Tree. It takes lot of Time, Care & Patience!

Good Day Ahead

बुधवार, 11 मई 2016

क्या खोया और क्या पाया

जिंदगी में यदि कोई आपसे ये पूछे "क्या खोया और क्या पाया "है???...

तो पुरे विश्वास के साथ कहना कि

जो गाजर के हलुवे में डालते है वो खोया है
और

जो खटिया मे नीचे चार डंडे खडे है वो पाया है

हमेशा भावुक होने की जरूरत नहीं

सोमवार, 9 मई 2016

शिष्टाचार

शिष्टाचार कहता है कि किसी स्त्री
से उसकी उम्र और किसी पुरुष से
उसकी आय नहीं
पूछनी चाहिए ...
शायद इसके पीछे एक खूबसूरत अंतर्दृष्टि छुपी है कि....

कोई स्त्री कभी स्वंय के लिए नहीं जीती

और

कोई पुरुष
कभी स्वंय के लिए नहीं कमाता ।।।

गुरुवार, 5 मई 2016

अन्‍तरआत्‍मा

      जिंदगी मे हम कितने सही
          और कितने गलत है
         ये सिर्फ दो ही शक्‍स
                जानते है
   ईश्‍वर और अपनी          
         अन्‍तरआत्‍मा
                और
          हैरानी की बात है 
   कि दोनो ही नजर नहीं आते
....सुप्रभात

बुधवार, 4 मई 2016

क्या खुब लिखा है...

क्या खुब लिखा है...

          पायल हज़ारो रूपये में आती है पर पैरो में पहनी जाती है... और... बिंदी 1 रूपये में आती है मगर माथे पर सजाई जाती है... इसलिए कीमत मायने नहीं रखती उसका कृत्य मायने रखता हैं...
                 एक किताबघर में पड़ी गीता और कुरान आपस में कभी नहीं लड़ते... और जो उनके लिए लड़ते हैं वो कभी उन दोनों को नहीं पढ़ते...
            नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता है... मिठी बात करने वाले तो चापुलुस भी होते है... इतिहास गवाह है की आज तक कभी नमक में कीड़े नहीं पड़े... और मिठाई में तो अक़्सर कीड़े पड़ जाया करते है...
               अच्छे मार्ग पर कोई व्यक्ति नही जाता पर बुरे मार्ग पर सभी जाते है... इसीलिये दारू बेचने वाला कही नही जाता... पर दूध बेचने वाले को घर, गली -गली , कोने- कोने जाना पड़ता है... और दूघ वाले से बार -बार पूछा जाता है कि पानी तो नही डाला... पर दारू मे खुद हाथो से पानी मिला-मिला पीते है...
वाह रे दुनियाँ और दुनियाँ की रीत...

कड़वी गोली


"हम कड़वी गोली को
                जल्दी से गटक जाते हैं..!
परंतु मीठी चॉकलेट को
                  खूब चबा कर खाते हैं।"

इसी तरह जीवन में..
               बुरे समय को जल्दी भूलें।
और अच्छे समय का
                खूब आनंद उठायें.!!"

       

रविवार, 1 मई 2016

झूठे दोस्त

‘मीठा झूठ’ बोलने से अच्छा है...‘कड़वा सच’ बोला जाए...

इससे आपको ‘सच्चे दुश्मन’ जरूर मिलेंगे...लेकिन ‘झूठे दोस्त’ नहीं...

तुझे कैसे रिझाऊं मैं

""..एक व्यक्ति ने भगवन से पुछा,,
       """...तुझे कैसे रिझाऊं मैं,,
""...कोई वस्तु नहीं ऐसी जिसे तुझ पर चढाऊं मैं...!!
    ""भगवान ने उत्तर दिया""
""...संसार की हर वस्तु तुझे मैनें दी है।।
       ""...तेरे पास अपनी चीज सिर्फ तेरा "अहंकार" है,,
"""...जो मैनें नहीं दिया..""
       ""..उसी को तूं मेरे "अर्पण" कर दे,,,

""तेरा जीवन सफल हो जाएगा""                                    सुप्रभात् 

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया जो इस वर्ष 9May को है उसका महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकारी
- आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।
-महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था ।
-माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था
-द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।
- कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।
- कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।
-सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था ।
-ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।
- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।
- बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा साल भर वो बस्त्र से ढके रहते है ।
- इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।
- अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है
ॐ नमः पार्वतीय पतये हर हर महादेव

जय श्री महाकाल

गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

"जीवन" में "तकलीफ़"

"जीवन" में "तकलीफ़" उसी को आती है, जो हमेशा "जवाबदारी" उठाने को तैयार रहते है,
और ...
जवाबदारी लेने वाले कभी हारते नही,
या तो "जीतते" है, या फिर "सिखते" है...!!
जय श्री कृष्णा

AFFIRMATION FOR TODAY

If you really want to do something, you'll find a way; if you don't, you'll find an excuse.

Your action for today is to take something you have been making excuses for not doing, and either do it or stop saying you want to do
it!

✫*¨`*✶♪.¸¸.✻✿
AFFIRMATION FOR TODAY
" Everything that I start is a huge success. I excel in everything that I do."
Good Morning! Have an Extraordinary day!

मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

शब्द मुफ्त में मिलते है....

शब्द मुफ्त में मिलते है....
                   लेकिन
उनके चयन पर निर्भर करता है...  कि
उसकी कीमत मिलेगी
                       या
चुकानी पड़ेगी....

जन्म से

जन्म से ना तो कोई "दोस्त"
पैदा होता है और ना ही "दुश्मन"
वह तो हमारे घमंड,ताकत या व्यवहार से
कोई एक बन जाता है.
 

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

"बुराई " करना रोमिंग की तराह है.

* "बुराई " करना रोमिंग की तराह है.
-
* करो तो भी चार्ज लगता है और सुनो तो भी चार्ज लगता है.
-
* और...
- * "नेकी" करना LIC की तराह है.
-
* जिंदगी के साथ भी.
* जिंदगी के बाद भी.

गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

शांति

दिन की शुरूआत में हमें लगता है जिंदगी में पैसा बहुत ज़रूरी है,
पर दिन ढलने पर समझ आता है, जिंदगी में शांति अधिक ज़रूरी है।

वक्त

हमेशा..
बदलते तो इंसान है ,

"वक्त" का नाम तो बस ..
एक बहाना है...!!

मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

लोहा नरम होकर

 
लोहा नरम होकर औजार बन जाता है,
सोना नरम होकर जेवर बन जाता है ! 
मिट्टी नरम होकर खेत बन जाती है, 
आटा नरम होता है तो रोटी बन जाती है !
ठीक इसी तरह अगर इंसान भी नरम हो जाये तो लोगो की दिलों मे अपनी जगह बना लेता है !

सदैव बेहतर की उम्मीद करे ।
         

रविवार, 17 अप्रैल 2016

नींबू के रस

अच्छी बात सच्ची बात

"जिस प्रकार नींबू के रस की एक बूँद हज़ारों लीटर दूध को बर्बाद कर देती है,
उसी प्रकार मनुष्य का अहंकार भी अच्छे से अच्छे संबंधों को बर्बाद कर देता है।"

शनिवार, 16 अप्रैल 2016

रिश्ते में.. खटास

पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया..

जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा-
मित्र तुमने अपने स्वरुप का त्याग कर मेरे  स्वरुप को धारण किया है....

अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा।

दूध बिकने के बाद
जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है..

अब मेरी बारी है मै मित्रता निभाऊंगा
और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा..
दूध से पहले पानी उड़ता जाता है

जब दूध मित्र को अलग होते देखता है
तो उफन कर गिरता है और आग को बुझाने लगता है,

जब पानी की बूंदे उस पर छींट कर उसे अपने मित्र से मिलाया जाता है तब वह फिर शांत हो जाता है।

पर
इस अगाध प्रेम में..
थोड़ी सी खटास-
(निम्बू की दो चार बूँद)
डाल दी जाए तो
दूध और पानी अलग हो जाते हैं..

थोड़ी सी मन की खटास अटूट प्रेम को भी मिटा सकती है।

रिश्ते में..
खटास मत आने दो॥
"क्या फर्क पड़ता है,
हमारे पास कितने लाख,
कितने करोड़,
कितने घर,
कितनी गाड़ियां हैं,

खाना तो बस दो ही रोटी है।
जीना तो बस एक ही ज़िन्दगी है।
I
फर्क इस बात से पड़ता है,
कितने पल हमने ख़ुशी से बिताये,
कितने लोग हमारी वजह से खुशी से जीए।

सोमवार, 21 मार्च 2016

तेरा मेरा

तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है,
       जो भी कमाया यही रह जाना है !
करलो कुछ अच्छे कर्म,
       साथ यही आपके जाना है !
रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं,
       लेकिन मुस्कुराने से...
पराये भी अपने हो जाते हैं !
       मुझे वो रिश्ते पसंद है,
जिनमें "अहम" नही " मैं " नहीं   केवल "हम " हो !!

साधना

व्यक्ति 'साधनों' से नहीं  'साधना' से श्रेष्ठ बनता है,
व्यक्ति 'भवनों' से नहीं 'भावना' से श्रेष्ठ बनता है,
व्यक्ति 'उच्चारण' से नहीं  'उच्चआचरण' से श्रेष्ठ बनता है।
www.omvachan.blogspot.in

गुरुवार, 10 मार्च 2016

अहंकार


•२००० square फीट के घर में
सिर्फ २०० फीट में हम रहते है ।       ....और

•बाकि के १८०० फीट में
  हमारा अहंकार रहता है ॥

"वक्त" और "दौलत" के बीच का
सबसे बड़ा अंतर....

•आपको हर "वक्त" पता होता है कि
  आपके पास कितनी "दौलत" है ।       ....लेकिन

•आप यह बिल्कुल भी नही जानते कि
  आपके पास कितना ''वक्त"है ॥

•पायल हज़ारो रूपये में आती है,
  पर पैरो में पहनी जाती है ।                ....और

•बिंदी 2 रूपये  में आती है, 
  मगर माथे पर सजाई जाती है ॥

•इसलिए कींमत मायने नहीं रखती,
  उसका मान मायने रखता हैं ॥

•एक किताबघर में पड़ी गीता और कुरान आपस में कभी नहीं लड़ते ।

•और जो उनके लिए लड़ते हैं वो
  कभी उन दोनों को नहीं पढ़ते ॥

•नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता है,
  मीठी बात करने वाले तो चापलूस भी होते है ।

•इतिहास गवाह है की आज तक कभी  नमक में कीड़े नहीं पड़े ।              ....और
•मिठाई में अक़्सर कीड़े पड जाया करते है ॥

•विज्ञान कहता है: 
  “जीभ पर लगी चोट      
  सबसे जल्दी ठीक होती है ।"         ....और

•ज्ञान कहता है:
  “जीभ से लगी चोट कभी ठीक नहीं होती … !!!

Always Be Passionate.!"

"Your Competitors can Copy Your Work, Your Style Or
Your Procedure.
But..
None can Copy your Passion.
If you hold it Firmly,
The world is Yours.!
Always Be Passionate.!"

भाग्य

भाग्य से जितना अधिक उम्मीद करेंगे वह उतना ही निराश करेगा।
कर्म में विश्वास रखें, आपको अपनी अपेक्षाओं से सदैव अधिक मिलेगा।

रविवार, 6 मार्च 2016

ऊँ नम:शिवाय

शिव अनादि है,शिव भगवंत है.....
शिव ओमकार है,शिव ब्रम्ह है.....
शिव शक्ति है,शिव  भक्ति  है.....
आज भगवान शिव का नमन करे., अभिषेक करें....

उनका आशीर्वाद हमेशा हम  पर  बना रहे....
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं-बधाईयाँ।।
जय  भोलेनाथ ..
जय जय शिव शंकर.
ऊँ नम:शिवाय

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

तुम्हारा ईश्वर...

प्रभू का पत्र

मेरे प्रिय...
सुबह तुम जैसे ही सो कर उठे, मैं तुम्हारे बिस्तर के पास ही खड़ा था। मुझे लगा कि तुम मुझसे कुछ बात
करोगे। तुम कल या पिछले हफ्ते हुई किसी बात या घटना के लिये मुझे धन्यवाद कहोगे। लेकिन तुम फटाफट चाय पी कर तैयार होने चले गए और मेरी तरफ देखा भी नहीं!!!

फिर मैंने सोचा कि तुम नहा के मुझे याद करोगे। पर तुम इस उधेड़बुन में लग गये कि तुम्हे आज कौन से कपड़े पहनने है!!!

फिर जब तुम जल्दी से नाश्ता कर रहे थे और अपने ऑफिस के कागज़ इक्कठे करने के लिये घर में इधर से उधर दौड़ रहे थे...तो भी मुझे लगा कि शायद अब तुम्हे मेरा ध्यान आयेगा,लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

फिर जब तुमने आफिस जाने के लिए ट्रेन पकड़ी तो मैं समझा कि इस खाली समय का उपयोग तुम मुझसे बातचीत करने में करोगे पर तुमने थोड़ी देर पेपर पढ़ा और फिर खेलने लग गए अपने मोबाइल में और मैं खड़ा का खड़ा ही रह गया।

मैं तुम्हें बताना चाहता था कि दिन का कुछ हिस्सा मेरे साथ बिता कर तो देखो,तुम्हारे काम और भी अच्छी तरह से होने लगेंगे, लेकिन तुमनें मुझसे बात
ही नहीं की...

एक मौका ऐसा भी आया जब तुम
बिलकुल खाली थे और कुर्सी पर पूरे 15 मिनट यूं ही बैठे रहे,लेकिन तब भी तुम्हें मेरा ध्यान नहीं आया।

दोपहर के खाने के वक्त जब तुम इधर-
उधर देख रहे थे,तो भी मुझे लगा कि खाना खाने से पहले तुम एक पल के लिये मेरे बारे में सोचोंगे,लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

दिन का अब भी काफी समय बचा था। मुझे लगा कि शायद इस बचे समय में हमारी बात हो जायेगी,लेकिन घर पहुँचने के बाद तुम रोज़मर्रा के कामों में व्यस्त हो गये। जब वे काम निबट गये तो तुमनें टीवी खोल लिया और घंटो टीवी देखते रहे। देर रात थककर तुम बिस्तर पर आ लेटे।
तुमनें अपनी पत्नी, बच्चों को शुभरात्रि कहा और चुपचाप चादर ओढ़कर सो गये।

मेरा बड़ा मन था कि मैं भी तुम्हारी दिनचर्या का हिस्सा बनूं...

तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिताऊँ...

तुम्हारी कुछ सुनूं...

तुम्हे कुछ सुनाऊँ।

कुछ मार्गदर्शन करूँ तुम्हारा ताकि तुम्हें समझ आए कि तुम किसलिए इस धरती पर आए हो और किन कामों में उलझ गए हो, लेकिन तुम्हें समय
ही नहीं मिला और मैं मन मार कर ही रह गया।

मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ।

हर रोज़ मैं इस बात का इंतज़ार करता हूँ कि तुम मेरा ध्यान करोगे और
अपनी छोटी छोटी खुशियों के लिए मेरा धन्यवाद करोगे।

पर तुम तब ही आते हो जब तुम्हें कुछ चाहिए होता है। तुम जल्दी में आते हो और अपनी माँगें मेरे आगे रख के चले जाते हो।और मजे की बात तो ये है
कि इस प्रक्रिया में तुम मेरी तरफ देखते
भी नहीं। ध्यान तुम्हारा उस समय भी लोगों की तरफ ही लगा रहता है,और मैं इंतज़ार करता ही रह जाता हूँ।

खैर कोई बात नहीं...हो सकता है कल तुम्हें मेरी याद आ जाये!!!

ऐसा मुझे विश्वास है और मुझे तुम
में आस्था है। आखिरकार मेरा दूसरा नाम...आस्था और विश्वास ही तो है।

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तुम्हारा ईश्वर...