गुरुवार, 30 जून 2016

कड़वा सच

◆ कड़वा सच ◆
    
गाँव में नीम के पेड़ कम हो रहे हैं,..
घरों में कड़वाहट बढती जा रही है,...

जुबान में मिठास कम हो रही है,..
और शरीर में शुगर बढती जा रही है,..

बुधवार, 29 जून 2016

झाँक रहे है इधर उधर सब।


“झाँक रहे है इधर उधर सब।
अपने अंदर झांकें  कौन।
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ  में कमियां।
अपने मन में ताके कौन।
सबके भीतर दर्द छुपा है।
  उसको अब ललकारे कौन।
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते ।
खुद को आज सुधारे कौन।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे।
खुद पर आज विचारे कौन।
हम सुधरें तो जग सुधरेगा।
यह सीधी बात उतारे कौन ?”

मान—सम्मान, पद—प्रतिष्ठा,

मान—सम्मान, पद—प्रतिष्ठा, सब धोखे हैं, आत्मवंचनाएं हैं। कितना ही छिपाओ अपने भावों को—अपने घावों के ऊपर गुलाब के फूल रखो दो; इससे घाव मिटते नहीं। भूल भला जाए क्षण—भर को, भरते नहीं। दूसरों को भला धोखा हो जाए, खुद को कैसे धोखा दोगे? तुम तो जाने ही हो, जानते ही हो, जानते ही रहोगे कि भीतर घाव है, ऊपर गुलाब का फूल रखकर छिपाया है। सारे जगत को भी धोखा देना संभव है, लेकिन स्वयं को धोखा देना संभव नहीं है।
जिस दिन यह स्थिति प्रगाढ़ होकर प्रकट होती है, उस दिन भक्त का जन्म होता है

शुक्रवार, 24 जून 2016

एकांत

'अकेलापन' इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है.!
                 और 'एकांत'
   इस संसार में सबसे बड़ा वरदान.!!

       ये दो समानार्थी दिखने वाले
               शब्दों के अर्थ में
    . आकाश पाताल का अंतर है।

        अकेलेपन में छटपटाहट है
          तो एकांत में आराम है।

         अकेलेपन में घबराहट है
             तो एकांत में शांति।

           जब तक हमारी नज़र
      बाहरकी ओर है तब तक हम.
       अकेलापन महसूस करते हैं
                       और
   जैसे ही नज़र भीतर की ओर मुड़ी
   तो एकांत अनुभव होने लगता है।

          ये जीवन और कुछ नहीं
                     वस्तुतः
      अकेलेपन से एकांत की ओर
              एक यात्रा ही है.!!

              ऐसी यात्रा जिसमें
    रास्ता भी हम हैं, राही भी हम हैं
       और मंज़िल भी हम ही हैं.!!
              
               
�प्रसन्न रहिए,अपना ख्याल रखिए�

कुंडली में शनि

. *शानदार बात*

*कुंडली में "शनि*"
*दिमाग में "मनी" और*
*जीवन में "दुश्मनी*"
*तीनो हानिकारक होते हे*.

*बदला लेने  में  क्या  मजा है*
*मजा  तो  तब है  जब  तुम* 
*सामने  वाले को  बदल  डालो*..||

*इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले*,
*और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले*...

' *कर्मो' से ही पहेचान होती है इंसानो की*...
*महेंगे 'कपडे' तो*,
' *पुतले*' *भी पहनते है दुकानों में*...
...  ....

बुधवार, 22 जून 2016

आदमी की औकात ।

।। आदमी की औकात ।।

एक माचिस की तिल्ली, एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे, कुछ घण्टे में राख.
बस इतनी-सी है, आदमी की औकात !!!!

एक बूढ़ा बाप, शाम को मर गया,
अपनी सारी ज़िन्दगी, परिवार के नाम कर गया,
कहीं रोने की सुगबुगाहट, तो कहीं फुसफुसाहट,
.अरे जल्दी ले जाओ, कौन रोयेगा सारी रात.
बस इतनी-सी है, आदमी की औकात!!!!

मरने के बाद नीचे देखा, नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे .....
कुछ लोग ज़बरदस्त, तो कुछ ज़बरदस्ती रो रहे थे।
नहीं रहा, चला गया, चार दिन करेंगे बात.
बस इतनी-सी है, आदमी की औकात!!!!!

बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा, सामने अगरबत्ती जलायेगा,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी, अख़बार में अश्रुपूरित श्रद्धांजलि होगी,
बाद में उस तस्वीर पे, जाले भी कौन करेगा साफ़.?
बस इतनी-सी है, आदमी की औकात !!!!!!

जिन्दगी भर, मेरा-मेरा-मेरा किया,
अपने लिए कम, अपनों के लिए ज्यादा जिया,
कोई न देगा साथ...जायेगा खाली हाथ....
क्या तिनका ले जाने की भी है हमारी औकात ???

हम चिंतन करें .........
क्या है हमारी औकात ????

बुधवार, 15 जून 2016

हँसी

वो व्यक्ति जो दूसरे के चेहरे पर हँसी और जीवन में ख़ुशी लाने की क्षमता  रखता है.................

ईश्वर उसके चेहरे से हँसी और जीवन में ख़ुशी कभी कम नही होने देता ।

 

मंगलवार, 14 जून 2016

Wisdom

The richest wealth is Wisdom.
The strongest weapon is Patience.
The best security is Faith.
The greatest tonic is Laughter.
and surprisingly all are free...

मंगलवार, 7 जून 2016

सुमंगलप्रभात

ए “ *मंगलसुबह* ” तुम जब भी आना,
     सब के लिए बस " *मंगलखुशियाँ*" लाना.
हर चेहरे पर “हंसी ” सजाना,
          हर आँगन मैं “फूल ” खिलाना.
जो “रोये ” हैं  इन्हें हँसाना.
               जो “रूठे ” हैं  इन्हें मनाना,
जो “बिछड़े” हैं तुम इन्हें मिलाना.
       प्यारी *“मंगलसुबह”* तुम जब भी आना,
सब के लिए बस *“मंगलखुशिया ”*ही लाना.
*सुमंगलप्रभात*