मिच्छामी -दुक्कडम
चलते चलते रुक गए हम
ना जाने क्या भूल गए हम
हसते हसते कितनो को सताया हमने.....
अनजाने में कितनो को रुलाया हमने.....
कडवे शब्दों से कितनो का दिल दुखाया होगा हमने.....
फिर हसकर गर्व जताया होगा हमने.....
दिल शायद नादान था.....
पाप से भी अनजान था.....
आज हर छोटी गलती से तौबा करना है हमें.....
ईगो छोड़ कर पर्युषण के पावन पर्व पर.....
क्षमा मांगते है हाथ जोड़कर
दिल से मिच्छामी दुक्क्डम
Collection of spritual religious and moral pious thoughts sayings quotations good morning afternoon night messages धार्मिक नैतिक आध्यात्मिक विचार सन्देश शुभ प्रभात रात्रि
शनिवार, 19 सितंबर 2015
मिच्छामी -दुक्कडम
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