रितु बसंत जाचक भया, हर लिये द्रुम पात।
ताते नव पल्लव भया, दिया दूर नहीं जात।।
भावार्थ
बसंत ऋतु के आगमन पर समस्त पेङों के पत्ते झङ जाते हैं किन्तु शीघ्र ही नव पल्लव का भी आगमन हो जाता है
कबीर कहते हैं कि उसी प्रकार जरूरतमंद को किया गया अर्थ दान जाता अवश्य दिखाई देता है किंतु ईश्वर किसी न किसी माध्यम से उसकी पूर्ति कई गु
ना पूरी कर देता है परोपकार मैं लगाया धन नव पत्तों की तरह फिर से प्राप्त हो जाता है
Collection of spritual religious and moral pious thoughts sayings quotations good morning afternoon night messages धार्मिक नैतिक आध्यात्मिक विचार सन्देश शुभ प्रभात रात्रि
सोमवार, 31 अगस्त 2015
रितु बसंत जाचक भया
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं