ए “ *मंगलसुबह* ” तुम जब भी आना,
सब के लिए बस " *मंगलखुशियाँ*" लाना.
हर चेहरे पर “हंसी ” सजाना,
हर आँगन मैं “फूल ” खिलाना.
जो “रोये ” हैं इन्हें हँसाना.
जो “रूठे ” हैं इन्हें मनाना,
जो “बिछड़े” हैं तुम इन्हें मिलाना.
प्यारी *“मंगलसुबह”* तुम जब भी आना,
सब के लिए बस *“मंगलखुशिया ”*ही लाना.
*सुमंगलप्रभात*
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